Bihar Election 2025 पटना, 10 अक्टूबर – बिहार विधानसभा चुनाव के लिए आज यानी 10 अक्टूबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले, राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। इस बीच विपक्ष के नेता और आरजेडी पार्टी के तेजस्वी यादव ने एक बड़ा ऐलान किया है जिसने राज्य की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है।
तेजस्वी यादव ने घोषणा की कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो बिहार में हर परिवार को एक सरकारी नौकरी दी जाएगी। उन्होंने दावा किया कि सरकार बनने के 20 दिन के भीतर इसके लिए कानून लाया जाएगा।
तेजस्वी का तर्क
अपने संबोधन में तेजस्वी यादव ने कहा, “सरकार का दायित्व है जिस चीज की कमी हो उसे वह पूरा करें। हमारी सरकार हर घर को एक सरकारी नौकरी देगी। नौकरी से हर कमी स्वतः ही पूरी हो जाएगी।”
उन्होंने एनडीए पर निशाना साधते हुए कहा, “20 साल में एनडीए ने हर घर में असुरक्षा और बेरोजगारी का खौफ दिया। अब हम हर घर को जॉब देंगे।”
तेजस्वी ने अपने विजन को “जॉब यानी जश्न बिहार” के नारे के साथ पेश किया और कहा कि सरकार बनने पर बिहार में उद्योग धंधे, फैक्ट्री, एजुकेशनल सिटी, आईटी पार्क और एसईजेड स्थापित किए जाएंगे। साथ ही कृषि और डेयरी आधारित उद्योगों को बढ़ावा देकर राज्य को विकास के नए पथ पर ले जाया जाएगा।
महागठबंधन का समर्थन, एनडीए की आलोचना
तेजस्वी के इस ऐलान का महागठबंधन के सदस्यों, खासकर कांग्रेस नेताओं ने स्वागत किया। कांग्रेस नेताओं ने इसे सामूहिक फैसला बताते हुए कहा कि यह महागठबंधन का संकल्प है और सभी मिलकर इसे पूरा करेंगे।
हालांकि, बीजेपी और जेडीयू ने इस वादे पर तीखी प्रतिक्रिया दी। बीजेपी नेताओं ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा, “जॉब फॉर जमीन घोटाला करने वाला व्यक्ति आज कह रहा है कि वो 20 दिन में नई नौकरी का बिल बनाएगा। मैं तो कहता हूं कि बिहार के युवा उनकी बेरोजगारी नहीं दूर करेंगे।”
बीजेपी ने आरोप लगाया कि यह परिवार केवल अपने लिए जीता है और अगर उनकी बेरोजगारी दूर हुई तो बिहार में कई युवा बेरोजगार हो जाएंगे, पलायन के लिए मजबूर होंगे और अपराध की ओर बढ़ेंगे।
क्या यह वादा व्यावहारिक है?
तेजस्वी के इस वादे की व्यावहारिकता पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों ने इस पर अपनी राय साझा की है।
सोशियोइकोनॉमिक कास्ट सेंसस के डाटा के अनुसार, बिहार में करीब 94 लाख गरीब परिवार हैं। अगर वर्तमान में उपलब्ध रिक्तियों को देखें तो लगभग 5 लाख पद खाली हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर यह माना जाए कि सभी खाली पद उन्हीं परिवारों को दिए जाएं जिनके पास पहले से सरकारी नौकरी नहीं है, और सरकार के पास इंक्लूसिव डेवलपमेंट की विल पावर है, तो भी यह चुनौतीपूर्ण है।
यदि सरकार मौजूदा 5 लाख रिक्तियों को दोगुना भी कर दे – रिटायरमेंट से होने वाली नई भर्तियों और जॉब जनरेशन को मिलाकर 10 लाख नौकरियां भी बना दे – तो भी यह 94 लाख परिवारों का सिर्फ 10% ही कवर कर पाएगी।
विशेषज्ञ की राय
विशेषज्ञों ने कहा, “मैं तेजस्वी जी को इस मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए बधाई देना चाहती हूं क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। वर्तमान चुनावी माहौल में लोग विवादों को ज्यादा उभारते हैं। भले ही यह वादा व्यावहारिक न हो, लेकिन मुद्दा महत्वपूर्ण है।”
उन्होंने सुझाव दिया कि अगर सभी पार्टियां इस मुद्दे को गंभीरता से लें और जो भी सरकार बने वह 94 लाख गरीब परिवारों को प्राथमिकता दे, खासकर उन्हें जो पहली बार सरकारी नौकरी में आ रहे हैं, तो 5 सालों में कम से कम 10% परिवारों को नौकरी दिलाई जा सकती है।
कांग्रेस की चार्जशीट
इसी बीच, कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने पटना में एनडीए सरकार के खिलाफ चार्जशीट जारी की। “20 साल विनाशकाल” नाम से जारी इस चार्जशीट में कांग्रेस के जयराम रमेश, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मौजूद थे।
सीटों का बंटवारा: अभी भी अधर में
बिहार में महागठबंधन और एनडीए दोनों गठबंधनों में सीटों के बंटवारे को लेकर माथापच्ची जारी है।
महागठबंधन में सीट बंटवारा Bihar Election 2025
महागठबंधन में अभी तक सीटों का बंटवारा फाइनल नहीं हुआ है। राहुल गांधी के विदेश दौरे से वापस आने पर 11 अक्टूबर को अंतिम मोहर लग सकती है।
अब तक की स्थिति:
- आरजेडी: 243 सीटों में से करीब 130 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है
- कांग्रेस: 50 से अधिक सीटों की मांग कर रही है (अंतिम संख्या तय नहीं)
- वाम दल (सीपीआई एमएल, सीपीआई और सीपीएम): कुल 35 सीटें मिल सकती हैं
- विकासशील इंसान पार्टी: 15-20 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारने की तैयारी
सभी दलों में रस्साकशी चल रही है और अभी कुछ भी फाइनल नहीं है।
एनडीए की रणनीति For Bihar Election 2025
एनडीए की पहली लिस्ट केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद 13 अक्टूबर तक आ सकती है। खबरों के मुताबिक, पहली लिस्ट को बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (रामविलास), एचएएम और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी मिलकर जारी करेंगे।
इसके लिए हर सीट पर तीन संभावित कैंडिडेट का पैनल तैयार किया गया है, हालांकि अभी भी कुछ ठोस सामने नहीं आया है।
जन स्वराज की पहली लिस्ट जारी
इन सबके बीच प्रशांत किशोर की जन स्वराज पार्टी ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें 51 कैंडिडेट हैं।
मुख्य बिंदु:
- प्रशांत किशोर का नाम लिस्ट में नहीं है
- छह मुस्लिम कैंडिडेट हैं
- एक ट्रांसजेंडर कैंडिडेट प्रीति किन्नर को गोपालगंज जिले की भौरे (सुरक्षित सीट) से उतारा गया है
- मशहूर शिक्षाविद के सी सिन्हा को पटना की कुबरहार सीट से टिकट मिला है
- प्रसिद्ध भोजपुरी गायक रितेश पांडे को करघर सीट से मैदान में उतारा गया है
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के “हर घर एक नौकरी” के वादे ने चुनावी बहस को एक नया आयाम दिया है। हालांकि इसकी व्यावहारिकता पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन यह मुद्दा बेरोजगारी की गंभीर समस्या को चुनावी चर्चा के केंद्र में ला खड़ा किया है।
दूसरी ओर, सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों गठबंधनों में जारी उठापटक से साफ है कि अभी बहुत कुछ तय होना बाकी है। 10 अक्टूबर से नामांकन शुरू होने के साथ ही बिहार की राजनीति में दिलचस्पी और बढ़ने वाली है।
नोट: यह रिपोर्ट 10 अक्टूबर 2025 की स्थिति के अनुसार है।
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