IRCTC SCAM : भारतीय राजनीति में फिर एक बार IRCTC Scam सुर्खियों में आ गया है। दिल्ली की अदालत ने लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव समेत कुल 14 आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप तय किए हैं। यह मामला लगभग दो दशक पुराना है, लेकिन चुनावी मौसम में इसकी timing ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
आइए विस्तार से समझते हैं कि आखिर यह IRCTC Scam है क्या, कैसे हुआ, और क्यों अब यह RJD की सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।

IRCTC Scam क्या है?
2004 से 2009 के बीच जब लालू यादव रेल मंत्री थे, तब पुरी और रांची में स्थित BNR (बंगाल-नागपुर रेलवे) होटलों का प्रबंधन पहले IRCTC को दिया गया, फिर इन्हें एक प्राइवेट कंपनी सुजाता होटल्स को लीज पर दे दिया गया।
CBI के अनुसार, यह सौदा साफ नहीं था। आरोप है कि होटल टेंडर देने के बदले में लालू परिवार ने पटना में prime जमीन रिश्वत के तौर पर ली। पूरा टेंडर प्रोसेस manipulate किया गया ताकि सुजाता होटल्स को फायदा हो।
मुख्य आरोप
CBI की चार्जशीट में तीन बड़े आरोप हैं – टेंडर में गड़बड़ी, रेल मंत्री पद का दुरुपयोग, और जमीन के बदले होटल का अवैध सौदा। यह classic quid pro quo case है जहां सरकारी संपत्ति का लाभ देकर निजी फायदा लिया गया।
14 आरोपियों में लालू परिवार के अलावा सुजाता होटल्स से जुड़े अधिकारी और intermediaries भी शामिल हैं। सभी पर IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120B (आपराधिक साजिश) के तहत केस दर्ज है।

कैसे खुला मामला?
2017-18 में CBI ने विस्तृत जांच के बाद chargesheet दाखिल की। Railway records, IRCTC documents, property papers, और banking transactions की गहन जांच हुई। हाल ही में दिल्ली की Rouse Avenue Court ने formal charges frame किए हैं।
RJD की बढ़ती मुसीबतें
चुनावी मौसम में यह RJD के लिए बड़ा संकट है। पहले से fodder scam में दोषी करार दिए गए लालू परिवार पर एक और corruption case उनकी credibility को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा। तेजस्वी यादव की clean image पर भी सवाल उठेंगे।
Opposition इन आरोपों को चुनाव में मुद्दा बनाएगा और महागठबंधन में भी दरार आ सकती है। बिहार में जहां development vs corruption पहले से बड़ा मुद्दा है, वहां यह case विपक्ष को strong ammunition देता है।
RJD का बचाव
RJD इसे political vendetta बता रही है। तेजस्वी यादव का कहना है कि चुनाव से ठीक पहले charges frame करना सरकार की calculated move है। Defense का तर्क है कि सभी decisions legally valid थे और CBI का इस्तेमाल opposition को target करने के लिए हो रहा है।

आगे क्या होगा?
अब trial शुरू होगा जो वर्षों चल सकता है। CBI अपने evidence present करेगी और defense हर claim को challenge करेगा। Charges frame होने का मतलब automatic arrest नहीं है, लेकिन legal battle लंबा होगा।
राजनीतिक रूप से, short term में यह RJD के लिए नुकसानदेह है। हालांकि बिहार में caste-based voting मजबूत है, इसलिए core vote bank पर असर देखना होगा। कुछ supporters इसे persecution मान सकते हैं।
न्याय या राजनीति?
बड़ा सवाल यही है – क्या यह सच में corruption case है या political witch-hunt? Timing का सवाल, CBI की independence पर शक, और evidence की validity – ये सब बहस के विषय हैं। सच्चाई तो court की final verdict से पता चलेगी।
निष्कर्ष
IRCTC घोटाला केवल legal case नहीं, बल्कि power, corruption और political rivalry का जटिल मिश्रण है। 2004-09 के कथित सौदे आज भी Bihar politics को प्रभावित कर रहे हैं। RJD के लिए यह crucial test है – क्या वे इन आरोपों से बचकर comeback करेंगे या यह उनके political future के लिए घातक साबित होगा? आने वाले महीने जवाब देंगे।





